कभी-कभी जब वो इंसाँ होता
औरों के जख्म-छालों पर
जब वो मरहम रखता होता
दिखता नहीं है कभी खुदा
बेशक उसका ही नजारा होता
नजर नजर का फेर है
जर्रे-जर्रे उसका ही पसारा होता
बहुत दूर नहीं वो हमसे
फैसले की घड़ी में इधर या उधर होता
होता है आदमी भी खुदा
कभी-कभी जब वो इंसाँ होता
बहुत ही गहरी सम्वेदनावो को दिखाती ये रचना ......अतिसुन्दर
जवाब देंहटाएंनाखुदा भी किसी के लिये खुदा होता है
जवाब देंहटाएं===
सुन्दर जज्बात पिरोया है आपने
कितने अच्छे तरीके से आपने सच कहा
जवाब देंहटाएंआदमी के प्यार को, रोता रहा है आदमी।
जवाब देंहटाएंआदमी के भार को, ढोता रहा है आदमी।।
होता है आदमी भी खुदा
जवाब देंहटाएंकभी-कभी जब वो इंसाँ होता
सुन्दर पंक्तियाँ। वाह।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
होता है आदमी भी खुदा
जवाब देंहटाएंकभी-कभी जब वो इंसाँ होता
क्या बात कही है............ आदमी कभी कभी खुदा भी हो जाता है............. शर्त ये है की वो इंसा तो हो............ बढ़िया लिखा है
vaakai INSAAN hi to khudaa hotaa hai.jhalli-kalam-se
जवाब देंहटाएंangrezi-vichar.blogspot.com
jhallevichar.blogspot.com
namaskaar sharda ji yek sakaratmak drsti kon prstut karti jivan jine ki gati ko sanyojit karti rachna
जवाब देंहटाएंहोता है आदमी भी खुदा
कभी-कभी जब वो इंसाँ होता
bhut khub 3
mera prnaam swikaar kare
saadar
praveen pathik
9971969084
bahut badiya likhi haa........aise hi aachi likhte rahe aap
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