आये हैं बीमार बीमार का हाल पूछने
कोई और भी है मेरे जैसा , तसल्ली हुई
आहट हुई राह में देख कर गुलाब को
सेहरे में गुंथता ये , ख़्वाबों से बात हुई
कोई गुजरा था कह देते हैं निशाँ सब कुछ
छेड़े जो तराने तो या खुदा दर्द हुआ या ग़ज़ल हुई
जितना है तेरा मन उदास , दर्द भी है उतना ही
अहसास दूरी का है जितना , उतनी ही तेरी प्यास हुई
कहाँ ढलता है सूरज दिन के ढलने पर
ढल जाती है जब उम्मीद , समझो के शब हुई