होली है होली है , रँगों की हमजोली है
ढोल नगाड़े मस्त बजाओ , मनुवा की समझो बोली है
टेसू फूले फागुन बोले , अमुवा के बौरों से खेले
रँगों की चादर ओढ़ाओ , ऋतुओं की आई डोली है
रँग गुलाल है होली का , और दुलार है गालों का
भीगा आँचल भीगा तन मन , भीगा लहँगा चोली है
हाथ रँगे है रँगा है जीवन , रस से देखो पगा है जीवन
एक दुकान है मीठे की , साली भी मुहँ-बोली है
देवर-भाभी साली-जीजा , रिश्ते-नाते प्यार भरे
सखी सहेली यार मिले , बात-बात में हँसी-ठिठोली है
गीत प्रीत की धुन पर नाचो , साँसों की सरगम पर नाचो
हाथ पकड़ कर दम भर नाचो , आई मस्तों की टोली है
होली है होली है , रँगों की हमजोली है
ढोल नगाड़े मस्त बजाओ , मनुवा की समझो बोली है
भारी भरकम लफ्जों की पढ़ाई भी नहीं , गीत गज़लों की गढ़ाई की तालीम भी नहीं , है उम्र की चाँदी और जज्बात के समन्दर की डुबकी, किस्मत लिखने वाले की मेहरबानी , जिन्दगी का सुरूर , चन्द लफ्जों की जुबानी...