कोई हमें चाहता है ये ख़्याल कितना ख़ूबसूरत है
इससे अपनी दुनिया आबाद कर लेना
ये छाँव चलेगी तुम्हारे सँग-साथ
इसे मुट्ठी में क़ैद कर लेना
ये दुनिया किसी जन्नत से कम नहीं
इसके सजदे में दिन-रात शादाब कर लेना
जब भी मिलें नजरें लब पे मुस्कराहट हो
रिश्तों में ऐसी आबो-हवा रख लेना
धूप तो आनी-जानी शय है
किसी काँधे पे रख के सर, थोड़ा आराम कर लेना




7 टिप्पणियां:
यह ख़ुशफ़हमी नहीं है हक़ीक़त है, जिसने हमने सिरजा है वह हर क्षण हमारे साथ है!!
सुन्दर
धन्यवाद अनीता जी
आभार
सुन्दर
वाह
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 29 नवम्बर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
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