भारी भरकम लफ्जों की पढ़ाई भी नहीं ,
गीत गज़लों की गढ़ाई की तालीम भी नहीं ,
है उम्र की चाँदी और जज्बात के समन्दर की डुबकी,
किस्मत लिखने वाले की मेहरबानी ,
जिन्दगी का सुरूर , चन्द लफ्जों की जुबानी...
रविवार, 8 मार्च 2009
इक बोल मेरी ओर
वोजोइकबोलमेरीओर तुमनेउछालामानों लपककेपकड़ामेरेदिलने कोईनिवालाजानो बरसागयाकोईबादल ठण्डीफुहारेंमानो खिल गये फूल और कलियाँ आईंबहारेंजानो बिनाबोलेहीतेरीनजरोंने उछालेदिलासेमानो झोलीभरली , छंटगये सारेकुहासेजानो
प्रवाह ठीक लगा।
जवाब देंहटाएंkya baat hai, bahut khoob
जवाब देंहटाएंशब्द कुछ कमजोर लगे । पर भाव बहुत खूब । शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ... होली की ढेरो शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंलपक के पकड़ा मेरे दिल ने
जवाब देंहटाएंकोई निवाला जानो
बिना बोले ही तेरी नजरों ने
उछाले दिलासे मानो
आपका अपना ही अंदाज़ है और अच्छा है।