भारी भरकम लफ्जों की पढ़ाई भी नहीं ,
गीत गज़लों की गढ़ाई की तालीम भी नहीं ,
है उम्र की चाँदी और जज्बात के समन्दर की डुबकी,
किस्मत लिखने वाले की मेहरबानी ,
जिन्दगी का सुरूर , चन्द लफ्जों की जुबानी...
बुधवार, 5 अगस्त 2009
रँगीन रेशमी राखी
यूँ तो डोर है रेशम सी कच्ची नहीं , बन्धन सी मजबूती इतनी है दुलार की भाई बहन के प्यार की
कुदरत का नूर बरसाती इस रास्ते भी , भाई का प्यार सी एक आँगन में पले जोड़ती अनूठे सँसार सी
रँगीन रेशमी डोरी दुआओं का बोलता भण्डार सी और कलाई पर सजी रक्षा का वचन उपहार सी
शारदा जी,बहुत सुन्दर रचना है बधाई।
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.
सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन के पावन पर्व की शुभकामनाऐं.
bahut pyaari rachnaa
जवाब देंहटाएंbilkul bahana si bholi aur masoom rachnaa
is rachnaa ko rakshaabandhan ki badhaai !
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंविश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
रँगीन रेशमी डोरी
जवाब देंहटाएंदुआओं का बोलता भण्डार सी
और कलाई पर सजी
रक्षा का वचन उपहार सी
बहुत सुन्दर।
रक्षा बंधन की शुभकामनाऐँ।
रँगीन रेशमी डोरी
जवाब देंहटाएंदुआओं का बोलता भण्डार सी
और कलाई पर सजी
रक्षा का वचन उपहार सी
बहुत सुन्दर शुभकामनायें
कलाई पर सजी
जवाब देंहटाएंरक्षा का वचन उपहार सी
बहुत ही सुन्दर रचना बधाई ।
बहुत ही सुन्दर रचना..क्षमा करें कल नहीं पढ़ पाई
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