भारी भरकम लफ्जों की पढ़ाई भी नहीं ,
गीत गज़लों की गढ़ाई की तालीम भी नहीं ,
है उम्र की चाँदी और जज्बात के समन्दर की डुबकी,
किस्मत लिखने वाले की मेहरबानी ,
जिन्दगी का सुरूर , चन्द लफ्जों की जुबानी...
शुक्रवार, 28 मई 2010
आदमी की अना
नचाहतेहुएभीवोसबदिखजाताहै , फिरलफ्जोंमेंउतरनालाजिमीहै ... क़द से ऊँची है आदमी की अना ऊँचाई पर भी बौना ही हुआ
नजर-अन्दाज़ करके करते हैं फना अन्दाज़ कितना शातिराना हुआ
उसके मन की उपज , उसका समाँ अपना मौसम है जुदा , मेल ही न हुआ
किस से पूछे सवाल अपनी आशना उसकी आँख का पानी भी अजनबी हुआ
सच्चे भावों को शब्दों की माला में पिरो दिया गया है
जवाब देंहटाएं,
क़द से ऊँची है आदमी की अना
बहुत सटीक बात है
आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं
जवाब देंहटाएंvery nice....
जवाब देंहटाएंक़द से ऊँची है आदमी की अना
जवाब देंहटाएंऊँचाई पर भी बौना ही हुआ....fir se behtreen
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दों के साथ अनुपम प्रस्तुति, आभार ।
जवाब देंहटाएंक़द से ऊँची है आदमी की अना
जवाब देंहटाएंऊँचाई पर भी बौना ही हुआ.......
किस से पूछे सवाल अपनी आशना
उसकी आँख का पानी भी अजनबी हुआ.....
अपनों के बेगानेपन के बारे में.......
बहुत कुछ.....
या जैसे सब कुछ बयान कर दिया आपने.
Zindagi jeeke use is tatasthtase dekhna yah bada fan hai...
जवाब देंहटाएंकिस से पूछे सवाल अपनी आशना
जवाब देंहटाएंउसकी आँख का पानी भी अजनबी हुआ
sahi he
badhai aao ko is ke liye
किस से पूछे सवाल अपनी आशना
जवाब देंहटाएंउसकी आँख का पानी भी अजनबी हुआ
बिलकुल सच्ची बात ...
क़द से ऊँची है आदमी की अना
जवाब देंहटाएंऊँचाई पर भी बौना ही हुआ ..
सच है बहुत उँचाई पर जाने से सब बौने हो जाते हैं ..........
किस से पूछे सवाल अपनी आशना
जवाब देंहटाएंउसकी आँख का पानी भी अजनबी हुआ
.....laajawab!
Haardik shubhkamnayne
bahut khoob
जवाब देंहटाएंक़द से ऊँची है आदमी की अना
जवाब देंहटाएंऊँचाई पर भी बौना ही हुआ .
Bahut khoob.
बहुत सुंदर ग़ज़ल...मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएं