नया साल आया तो खड़ा है
उम्मीद जश्न की करता हमसे
खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है
गुजरे साल में ज़ख़्मी हुए हम
जार जार रोई मानवता
काँधे पे अपने , लिए ज़मीर की , लाश खड़ा है
सूख गये विष्वास के मानी
मर गया आँख में शर्म का पानी
अस्मिता बचाओ , घर में लुटेरा आन खड़ा है
जननी , भगिनी , भामिनी
नारी के सम्मान की भाषा
हाथ में लिए मशाल ' दामिनी ' , हर रिश्ते का पहरेदार खड़ा है
हर आँख नम है
हर सीने में कितना गम है
कैसे करें सत्कार तुम्हारा , गुजरा साल सीने में अड़ा है
नया साल आया तो खड़ा है
उम्मीद जश्न की करता हमसे
खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है
उम्मीद जश्न की करता हमसे
खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है
गुजरे साल में ज़ख़्मी हुए हम
जार जार रोई मानवता
काँधे पे अपने , लिए ज़मीर की , लाश खड़ा है
सूख गये विष्वास के मानी
मर गया आँख में शर्म का पानी
अस्मिता बचाओ , घर में लुटेरा आन खड़ा है
जननी , भगिनी , भामिनी
नारी के सम्मान की भाषा
हाथ में लिए मशाल ' दामिनी ' , हर रिश्ते का पहरेदार खड़ा है
हर आँख नम है
हर सीने में कितना गम है
कैसे करें सत्कार तुम्हारा , गुजरा साल सीने में अड़ा है
नया साल आया तो खड़ा है
उम्मीद जश्न की करता हमसे
खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है
हर आँख नम है
जवाब देंहटाएंहर सीने में कितना गम है
भावुक करती रचना सुन्दर प्रस्तुति
नयी उम्मीदों के साथ नववर्ष की शुभकामनाएँ !!!!!
वाह .बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल
जवाब देंहटाएंसुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
नब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामना.
मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.
प्रभावी लेखन,
जवाब देंहटाएंजारी रहें,
बधाई !!!
आर्यावर्त परिवार
गुजरे साल में ज़ख़्मी हुए हम
जवाब देंहटाएंजार जार रोई मानवता
काँधे पे अपने,
लिए ज़मीर की लाश,
खड़ा है
नया साल
isteqbaal...
बिलकुल सही बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति मरम्मत करनी है कसकर दरिन्दे हर शैतान की #
जवाब देंहटाएंनयी साल से पहली उम्मीद यही है की उन दरिंदो को सू-ऐ-दार की तरफ जाते देखे. सुन्दर अभिव्यक्ति.
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जवाब देंहटाएंहर आँख नम है
हर सीने में कितना गम है
कैसे करें सत्कार तुम्हारा , गुजरा साल सीने में अड़ा है
aah! Pata nahi kitna kuchh seene me ada hai! behad sundar likha hai aapne...
बीते साल में जो कुछ घटा उससे अवश्य ही ऑंखें अब तक नम हैं,आप ने इस दर्द को कविता में बखूबी अभिव्यक्त किया है.
जवाब देंहटाएंbahut bahut shukriya Alpna ji ...
हटाएंsabhi tippni kartaon ka dhanyvad...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंek sarthak rachana.
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