दिल के बदले दिल चाहिये
हमको सौदा खरा चाहिये
मुश्किल नहीं है बहुत
हमको रिश्ता सगा चाहिये
आहें ही बसती रहीं
दिल दुआ से भरा चाहिये
जी भर के रो लें मगर
तेरा काँधा जरा चाहिये
पतझड़ के मौसम में भी
दिल हमको खिला चाहिये
लाइये , शेख जी लाइये
हमको मौसम हरा चाहिये
हमको सौदा खरा चाहिये
मुश्किल नहीं है बहुत
हमको रिश्ता सगा चाहिये
आहें ही बसती रहीं
दिल दुआ से भरा चाहिये
जी भर के रो लें मगर
तेरा काँधा जरा चाहिये
पतझड़ के मौसम में भी
दिल हमको खिला चाहिये
लाइये , शेख जी लाइये
हमको मौसम हरा चाहिये
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 02-06-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2361 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
"जी भर के रो लें मगर
जवाब देंहटाएंतेरा काँधा जरा चाहिये" ... वाह!
बहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : हजारों गम हैं
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 06 जून 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह , क्या बात है
जवाब देंहटाएंदिल के बदले में दिल चाहिए .....
यथार्थ जीवन की भावनात्मक आवश्यकताओं को प्रदर्शित करती एक वेहतरीन रचना। मुझे तो अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब। वाह।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...
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