बुधवार, 26 नवंबर 2025

ऐसी आबो-हवा

कोई हमें चाहता है ये ख़्याल कितना ख़ूबसूरत है 

इससे अपनी दुनिया आबाद कर लेना 


ये छाँव चलेगी तुम्हारे सँग-साथ 

इसे मुट्ठी में क़ैद कर लेना 


ये दुनिया किसी जन्नत से कम नहीं 

इसके सजदे में दिन-रात शादाब कर लेना 


जब भी मिलें नजरें लब पे मुस्कराहट हो 

रिश्तों में ऐसी आबो-हवा रख लेना 


धूप तो आनी-जानी शय है 

किसी काँधे पे रख के सर, थोड़ा आराम कर लेना 

7 टिप्‍पणियां:

  1. यह ख़ुशफ़हमी नहीं है हक़ीक़त है, जिसने हमने सिरजा है वह हर क्षण हमारे साथ है!!

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 29 नवम्बर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं