सपना होता तो उड़ान भी होती
रेला होता तो लगाम भी होती
इक चुप सी लगी है जाने
बात होती तो जुबान भी होती
वक्त के साथ सारे तूफ़ान गये
ठहरे होते तो थकान भी होती
क्यूँ आहों को सजाये बैठे हैं
सामाँ होता तो दुकान भी होती
बस्ती से ज़ुदा वीरान है मस्ज़िद
मुल्ला होता तो अज़ान भी होती
रेला होता तो लगाम भी होती
इक चुप सी लगी है जाने
बात होती तो जुबान भी होती
वक्त के साथ सारे तूफ़ान गये
ठहरे होते तो थकान भी होती
क्यूँ आहों को सजाये बैठे हैं
सामाँ होता तो दुकान भी होती
बस्ती से ज़ुदा वीरान है मस्ज़िद
मुल्ला होता तो अज़ान भी होती
वाह बेहद शानदार अशआर हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़ियाँ गजल...
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत ही बढ़ियाँ गजल...
जवाब देंहटाएं:-)
वक्त के साथ सारे तूफ़ान गये
जवाब देंहटाएंठहरे होते तो थकान भी होती
बहुत सुन्दर लिखा है.
बहुत सुन्दर भाव...
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ सारे तूफ़ान गये
ठहरे होते तो थकान भी होती
सभी शेर बहुत अच्छे लगे, शुभकामनाएँ.
इक चुप सी लगी है जाने
जवाब देंहटाएंबात होती तो जुबान भी होती
वाह!
कार्य-कारण का अनूठा संयोग ही तो है यहाँ!
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ सारे तूफ़ान गये
जवाब देंहटाएंठहरे होते तो थकान भी होती ..
क्या बात है ... सच को कहने का निराला अंदाज़ लाजवाब है आपका ...
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ...
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