देखो तो मुहब्बत की हर राह , किस ओर निकलती है
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है
सूरज के मुहाने से , दिन निकलता है
चन्दा तेरी गलियों में अश्क की रात भी ढलती है
मुहब्बत है इबादत, बेशक
छुप के ज़माने से मगर पलती है
फिसला है हर कोई यहाँ
शीशे के घरों में तन्हाई ही पलती है
हर किसी को तमन्ना है गुलाबों की
खरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है
देखो तो मुहब्बत की हर राह , किस ओर निकलती है
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है
सूरज के मुहाने से , दिन निकलता है
चन्दा तेरी गलियों में अश्क की रात भी ढलती है
मुहब्बत है इबादत, बेशक
छुप के ज़माने से मगर पलती है
फिसला है हर कोई यहाँ
शीशे के घरों में तन्हाई ही पलती है
हर किसी को तमन्ना है गुलाबों की
खरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है
देखो तो मुहब्बत की हर राह , किस ओर निकलती है
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है
वाह क्या बात है शानदार बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकुछ कुछ लाइनों ज़्यादा ही लंबी हो गईं
जवाब देंहटाएंहर किसी को तमन्ना है गुलाबों की
जवाब देंहटाएंखरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है.
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार राजनीतिक सोच :भुनाती दामिनी की मौत आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
मुहब्बत है इबादत, बेशक
जवाब देंहटाएंछुप के ज़माने से मगर पलती है ..
सच कहा है .. ज़माना वर्ना इसे पलने नहीं देता ...
भावपूर्ण!
जवाब देंहटाएंसूरज के मुहाने से दिन निकलता है
चन्दा तेरी गलियों में अश्क की रात भी ढलती है
खास पसंद आया.
अच्छे भाव हैं ग़ज़ल के
जवाब देंहटाएंहर किसी को तमन्ना है गुलाबों की
खरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है
बढ़िया!!
सादर
अनु
मुहब्बत है इबादत, बेशक
जवाब देंहटाएंछुप के ज़माने से मगर पलती है
क्या बात है!!!!
सुंदर गज़ल. उत्तम भाव.
फिसला है हर कोई यहाँ
जवाब देंहटाएंशीशे के घरों में तन्हाई ही पलती है
बहुत सुन्दर लिखा है.
हर किसी को तमन्ना है गुलाबों की
जवाब देंहटाएंखरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है,,,
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए ,,,,शुक्रिया,,
आप भी मेरे ब्लॉग को फालो करे,,,,
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