सोमवार, 20 मई 2013

हम न भूल पायेंगे

आज के दौर में एक मित्रता और सदभावना भरा दिल ही ढूँढना मुश्किल है ...और जब कभी ऐसा कोई मिल जाता है तो मन कुछ इस तरह गुनगुना उठता है ...

हम न भूल पायेंगे , ये जो तुम चले हो हमारे साथ 
दुनियावी बातों में , रूहानी सी हो जैसे कोई मुलाकात 

वक्त के सितम भूल गये सारे , आँखें मींचीं तो पाया 
के बिछी है , क़दमों तले नर्म रेशम सी करामात 

अजब सी बात है , कभी तो ढूँढे से नहीं मिलती ख़ुशी 
सहरा में चलते हुए , कभी हो जाती है सोंधी सी बरसात 

एक वो लोग उतरे हैं नज्मों में , जो धूप में सुखाते हैं 
दूसरे वो जो , घनी छाँव से दिल को भाते हैं हज़रात 

नज़राने की तरह , रख लो कोई निशानी मेरी भी 
नज़र आऊँगी कभी , मैं भी तुम्हें गाहे-बगाहे यूँ ही बे-बात 

23 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
    आप की ये रचना 24-05-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
    पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
    आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।

    मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।

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  2. सुख के हर दिन, हर पल, ख़ुशी के नहीं होते
    महकते मखमली गुलाब भी निष्कंटक नहीं होते।
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postअनुभूति : विविधा
    latest post वटवृक्ष

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    1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
      आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
      आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (08-04-2013) के "http://charchamanch.blogspot.in/2013/04/1224.html"> पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
      सूचनार्थ...सादर!

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    2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
      आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (22-05-2013) के कितनी कटुता लिखे .......हर तरफ बबाल ही बबाल --- बुधवारीय चर्चा -1252 पर भी होगी!
      सादर...!

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  3. अजब सी बात है , कभी तो ढूँढे से नहीं मिलती ख़ुशी
    सहरा में चलते हुए , कभी हो जाती है सोंधी सी बरसात

    ....सुंदर भाव

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  4. आपकी यह रचना कल मंगलवार (21 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण अंक - २ पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  5. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन भारत के इस निर्माण मे हक़ है किसका - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. दो ही घंटों में इतने सारे कमेंट्स ..आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया ..हाँ ख़ुशी तो होती है ...

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  7. सेहरा में ज्यूँ सौंधी सी बरसात..वाह! कितना खूबसूरत ख्याल है.

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    1. हाँ इसे सिर्फ कवि मन समझ और महसूस कर सकता है ...शुक्रिया अल्पना जी ...

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  8. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति . .मन को छू गयी .आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

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  9. वक्त के सितम भूल गये सारे , आँखें मींचीं तो पाया
    के बिछी है , क़दमों तले नर्म रेशम सी करामात ...

    दोस्त भीनी सी फुहार ले के आते हैं ... मरन एहसास ले के आते हैं ... दुख दर्द सारे हवा के साथ ले जाते हैं ...
    खूबसूरत गज़ल ...

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  10. नज़राने की तरह , रख लो कोई निशानी मेरी भी
    नज़र आऊँगी कभी , मैं भी तुम्हें गाहे-बगाहे यूँ ही बे-बात
    Wah! Kya baat hai!

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  11. अजब सी बात है , कभी तो ढूँढे से नहीं मिलती ख़ुशी
    सहरा में चलते हुए , कभी हो जाती है सोंधी सी बरसात....एकदम सही बात...बहुत खूब

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  12. एक वो लोग उतरे हैं नज्मों में , जो धूप में सुखाते हैं
    दूसरे वो जो , घनी छाँव से दिल को भाते हैं हज़रात

    बहुत सुन्दर वे लोग जो आपकी रचना में उतर आये हैं

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  13. अजब सी बात है , कभी तो ढूँढे से नहीं मिलती ख़ुशी
    सहरा में चलते हुए , कभी हो जाती है सोंधी सी बरसात .
    सुन्दर भावों के साथ रची सुन्दर रचना

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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं