हम वहाँ हैं जहाँ ,
अपनी खबर भी पराई ही लगे
चिकने घड़े सा कर दिया
ज़िन्दगी ये भी रुसवाई ही लगे
न जाते इधर तो किधर जाते
हर शय शौदाई ही लगे
आईना किस को दिखाऊँ
अपनी फितरत भी हरजाई ही लगे
यही बदा है , यही सही
रात के पैर में बिवाई ही लगे
तेरा मुँह देख के जीते हैं
आग अपनी लगाई ही लगे
इश्क में दर-बदर हर कोई
दाँव पर सारी खुदाई ही लगे
शोला हो , शबनम हो
ऐ वक्त , दिलरुबाई ही लगे
अपनी खबर भी पराई ही लगे
चिकने घड़े सा कर दिया
ज़िन्दगी ये भी रुसवाई ही लगे
न जाते इधर तो किधर जाते
हर शय शौदाई ही लगे
आईना किस को दिखाऊँ
अपनी फितरत भी हरजाई ही लगे
यही बदा है , यही सही
रात के पैर में बिवाई ही लगे
तेरा मुँह देख के जीते हैं
आग अपनी लगाई ही लगे
इश्क में दर-बदर हर कोई
दाँव पर सारी खुदाई ही लगे
शोला हो , शबनम हो
ऐ वक्त , दिलरुबाई ही लगे
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,सुंदर प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: एक हमसफर चाहिए.
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन हर बार सेना के योगदान पर ही सवाल क्यों - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंयही बदा है , यही सही
जवाब देंहटाएंरात के पैर में बिवाई ही लगे ..
बहुत खूब ... अलग अंदाज़ का शेर ... किस्मत में जो है वो ही सही ...
क्या बात है ...
तेरा मुँह देख के जीते हैं
जवाब देंहटाएंआग अपनी लगाई ही लगे
बहुत खूब ! मुबारक कबूलें!
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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