ज़िन्दगी एक तन्हा सफ़र है गोया
हर कदम राह में यार की उठता हो गोया
उसके आने से महकता है समाँ
उसकी मेहरबानी भी सँग-सँग हो गोया
करवटें बदलती रहती हूँ मैं
नीँद उसको भी तो आ गई हो गोया
वक्त के बेरहम हाथों ने बख़्शा किसे
हर सीने में नमी ही तैरती हो गोया
ये चाहतों का सफर ले आया है
इक जँग खुद से भी छिड़ी हो गोया
वो मेरा दोस्त है तो दुश्मनी क्यूँ-कर
दिए के साथ-साथ कोई हवा हो गोया
बहुत सुन्दर गजल.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : एक खिड़की शहर में खुलती है
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badhiya gazal
जवाब देंहटाएंआप का लेखन बहुत ही भावपूर्ण है.... बधाई !!
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