वे चन्ना , किस कम्म दिआं ऐ महल ते माड़ियाँ
तेरे बाज्यों सब ने विसारिआं
केहड़े पासेओं दिन ऐ चढ़दा
मेरे लई ते राताँ ने सारियाँ
सुंजियाँ मेरियाँ दिल दियाँ राहाँ
देके विखाली लुक्क गया कोई
टक्करां मारन अक्खाँ मेरियाँ
रोंदी होई हस्स पैन्नी हाँ
किस थां जावाँ रूह पुच्छदी ऐ
पिंजर मेरा डोराँ तेरियाँ
गम साथी ने घर मेरा तक्कया
फुल्ल बहुतेरे खुशबू नदारद
दुनियावी गल्लाँ मुक्क गइयाँ सारियाँ
वे चन्ना , किस कम्म दिआं ऐ महल ते माड़ियाँ
तेरे बाज्यों सब ने विसारिआं
केड़े पासेओं दिन ऐ चढ़दा
मेरे लई ते राताँ ने सारियाँ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (28-06-2014) को "ये कौन बोल रहा है ख़ुदा के लहजे में... " (चर्चा मंच 1658) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सुन्दर गीत ....
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@मुकेश के जन्मदिन पर.