आँतक-वाद की रोकथाम कैसे हो .....
बदले के बदले चलते रहेंगे
खुदा बन के खुद को छलते रहेंगे
थोक में बिछी लाशें , क्या सुख है पाया
जो भी गया है ,लौट के न आया
जख्मीं हैं सीने तो , मरहम लगाओ
गूँजती सदाओं को , न तुम भुलाओ
कब तक यूँ ख़्वाबों को मसलते रहेंगे
कराहता है कोई , नजर न चुराओ
सीने में उसको , न यूँ तुम दबाओ
बहुत दिन हुए हैं , तुम्हें मुस्कराये
दौड़े बहुत हो , नहीं पता पाये
सहरा में कब तक भटकते रहेंगे
बदले के बदले चलते रहेंगे
खुदा बन के खुद को छलते रहेंगे
बदले के बदले चलते रहेंगे
खुदा बन के खुद को छलते रहेंगे
थोक में बिछी लाशें , क्या सुख है पाया
जो भी गया है ,लौट के न आया
जख्मीं हैं सीने तो , मरहम लगाओ
गूँजती सदाओं को , न तुम भुलाओ
कब तक यूँ ख़्वाबों को मसलते रहेंगे
कराहता है कोई , नजर न चुराओ
सीने में उसको , न यूँ तुम दबाओ
बहुत दिन हुए हैं , तुम्हें मुस्कराये
दौड़े बहुत हो , नहीं पता पाये
सहरा में कब तक भटकते रहेंगे
बदले के बदले चलते रहेंगे
खुदा बन के खुद को छलते रहेंगे
बदले के बदले चलते रहेंगे
जवाब देंहटाएंखुदा बन के खुद को छलते रहेंगे
जीना इसी का नाम है1 अच्छी रचना1 मेरा ब्लाग भी देखें1
ममर्स्पर्शी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंममर्स्पर्शी , सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (19-04-2015) को "अपनापन ही रिक्तता को भरता है" (चर्चा - 1950) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
ऐसे ही जीवन भी चलता रहेगा ... कभी बदले तो कभी प्यार ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
मनों भावों की बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकराहता है कोई , नजर न चुराओ
जवाब देंहटाएंसीने में उसको , न यूँ तुम दबाओ
बहुत दिन हुए हैं , तुम्हें मुस्कराये
दौड़े बहुत हो , नहीं पता पाये
सहरा में कब तक भटकते रहेंगे
खुद से खुद को छलने का नाम जीवन है।
यथार्थपरक कविता ।
बढ़िया अभिव्यक्ति ! मंगलकामनाएं आपको
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