ऐ मुहब्बत मेरे साथ चलो
के तन्हा सफ़र कटता नहीं
दम घुटता है के
साहिल का पता मिलता नहीं
जगमगाते हुए इश्क के मन्जर
रूह को ऐसा भी घर मिलता नहीं
तुम जो आओ तो गुजर हो जाए
मेरे घर में मेरा पता मिलता नहीं
लू है या सर्द तन्हाई है
एक पत्ता भी कहीं हिलता नहीं
ऐ मुहब्बत मेरे साथ चलो
बुझे दिल में चराग जलता नहीं
तुम्हीं तो छोड़ गई हो यहाँ मुझको
ज़िन्दगी का निशाँ मिलता नहीं
के तन्हा सफ़र कटता नहीं
दम घुटता है के
साहिल का पता मिलता नहीं
जगमगाते हुए इश्क के मन्जर
रूह को ऐसा भी घर मिलता नहीं
तुम जो आओ तो गुजर हो जाए
मेरे घर में मेरा पता मिलता नहीं
लू है या सर्द तन्हाई है
एक पत्ता भी कहीं हिलता नहीं
ऐ मुहब्बत मेरे साथ चलो
बुझे दिल में चराग जलता नहीं
तुम्हीं तो छोड़ गई हो यहाँ मुझको
ज़िन्दगी का निशाँ मिलता नहीं
''मेरे घर में मेरा पता मिलता नहीं ''
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात कही है.
अच्छी लगी यह रचना .
सुंदर गीत, ऐ मोहब्बत मेरे साथ साथ चल कि जिंदगी का सफर कट जाए हंसते हंसते।
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