तू जिसे ढूँढ रहा है , वो तो इश्क है हक़ीकी
दुनिया की महफ़िलों में , मिलता है वो रिवाजी
ज़माने की आँधियों में , रहना है तुझे साबुत
मिले न भले कुछ भी , हर हाल में हो राजी
ज़िन्दगी का है ये मेला , चाहे तो चल अकेला
चाहे तो सजदा कर ले , चाहे तो रख नाराज़ी
मिलती नहीं है दुनिया तो , लगती है भले सोना
मिल जाये तो माटी है , प्राणों की लगे बाज़ी
चल-चल के जो तू हारे , चारों तरफ निहारे
रूहों का शहर है ये , रिश्तों की है मोहताजी
माने तो दुनिया सहरा , माने तो दुनिया महफ़िल
फ़ानी है सारी दुनिया , कोरी है ये लफ़्फ़ाज़ी
सच्चा ही तू रह खुद से , इतना भी तो है काफ़ी
आयेगा सब ही आगे , छोड़ेगा कहाँ माज़ी
बुलबुलों सा फ़ना होता , ज़द्दो-जहद की खातिर
सागर से कब मिलेगा , नजरों में रख अजीजी
दुनिया की महफ़िलों में , मिलता है वो रिवाजी
ज़माने की आँधियों में , रहना है तुझे साबुत
मिले न भले कुछ भी , हर हाल में हो राजी
ज़िन्दगी का है ये मेला , चाहे तो चल अकेला
चाहे तो सजदा कर ले , चाहे तो रख नाराज़ी
मिलती नहीं है दुनिया तो , लगती है भले सोना
मिल जाये तो माटी है , प्राणों की लगे बाज़ी
चल-चल के जो तू हारे , चारों तरफ निहारे
रूहों का शहर है ये , रिश्तों की है मोहताजी
माने तो दुनिया सहरा , माने तो दुनिया महफ़िल
फ़ानी है सारी दुनिया , कोरी है ये लफ़्फ़ाज़ी
सच्चा ही तू रह खुद से , इतना भी तो है काफ़ी
आयेगा सब ही आगे , छोड़ेगा कहाँ माज़ी
बुलबुलों सा फ़ना होता , ज़द्दो-जहद की खातिर
सागर से कब मिलेगा , नजरों में रख अजीजी
बहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : प्रेम की पराकाष्ठा
चल-चल के जो तू हारे , चारों तरफ निहारे
जवाब देंहटाएंरूहों का शहर है ये , रिश्तों की है मोहताजी
लाजवाब
माने तो दुनिया सहरा , माने तो दुनिया महफ़िल
जवाब देंहटाएंफ़ानी है सारी दुनिया , कोरी है ये लफ़्फ़ाज़ी ....बहुत सुंदर .
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (19-06-2015) को "गुज़र रही है ज़िन्दगी तन्हा" {चर्चा - 2011} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बढ़िया
जवाब देंहटाएंमाने तो दुनिया सहरा , माने तो दुनिया महफ़िल
जवाब देंहटाएंफ़ानी है सारी दुनिया , कोरी है ये लफ़्फ़ाज़ी
फलसफ़ाना अंदाज़ की यह ग़ज़ल जेहन को मुतास्सिर करती है।
दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंशब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह ग़ज़ल रची है आपने।
संजय जी , हार्दिक धन्यवाद , कुछ टिप्पणियाँ याद रखने लायक हो जातीँ हैं।
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