वक़्त हमें क्या देगा
क्या किस्मत जो बदल देगा
वीरानियों ने पूछा है
क्या कोई गुमाँ है जो बचपन देगा
जहान तो है इक बाज़ार ही
खोटे सिक्के सा तुझे पलट देगा
दर्द जैसे जागता है हर सीजन
चोट को कोई क्या भुला देगा
वो मेरी जड़ें खोद रहा है
ये गम ही मुझे कज़ा देगा
बड़ी मामूली सी हैं ख्वाहिशें मेरी
आसमान मुझे कोई क्या देगा
वक़्त से भिड़ जाना आसान नहीं है
फ़ना होगा या सँवर जायेगा ,
देखा जायेगा जो भी बदा होगा
कज़ा -मौत
क्या किस्मत जो बदल देगा
वीरानियों ने पूछा है
क्या कोई गुमाँ है जो बचपन देगा
जहान तो है इक बाज़ार ही
खोटे सिक्के सा तुझे पलट देगा
दर्द जैसे जागता है हर सीजन
चोट को कोई क्या भुला देगा
वो मेरी जड़ें खोद रहा है
ये गम ही मुझे कज़ा देगा
बड़ी मामूली सी हैं ख्वाहिशें मेरी
आसमान मुझे कोई क्या देगा
वक़्त से भिड़ जाना आसान नहीं है
फ़ना होगा या सँवर जायेगा ,
देखा जायेगा जो भी बदा होगा
कज़ा -मौत
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (31-07-2019) को "राह में चलते-चलते"
जवाब देंहटाएंपर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Raah me chalte chalte ka link nahi diya hai isliye kohl nahi ps rahi .
हटाएंYou Are very Good writer make understand better for everyone. In my case, I’m very much satisfied with your article and which you share your knowledge. Throughout the Article, I understand the whole thing. Thank you for sharing your Knowledge.
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