किच्छा की गलियों से
नानी के आँगन से
दरियों की पँगत से
बाल्टी भर आमों से
कजन्स की सँगत से
मासियों मामों से
रिश्ता जो अपना है
लाया है कौन हमें
यूरोप के शहरों तक
लहराती नदियों तक
सुरम्य नज़ारों तक
सारा जग अपना है
गगन की बाँहों तक
ज़िन्दगी की रँगत है
वही तो जोड़े है
दुआ सलामों से
बचपन की खुशबू से
लड़कपन यादों में
सुहाने सपनों में
महकता जीवन भर
खुली फ़िज़ाओं में
देश- विदेशों में
नानी का प्यारा घर
नानी के आँगन से
दरियों की पँगत से
बाल्टी भर आमों से
कजन्स की सँगत से
मासियों मामों से
रिश्ता जो अपना है
लाया है कौन हमें
यूरोप के शहरों तक
लहराती नदियों तक
सुरम्य नज़ारों तक
सारा जग अपना है
गगन की बाँहों तक
ज़िन्दगी की रँगत है
वही तो जोड़े है
दुआ सलामों से
बचपन की खुशबू से
लड़कपन यादों में
सुहाने सपनों में
महकता जीवन भर
खुली फ़िज़ाओं में
देश- विदेशों में
नानी का प्यारा घर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (20-09-2019) को "हिन्दी को बिसराया है" (चर्चा अंक- 3464) (चर्चा अंक- 3457) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। --हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंBhojpuri Song Download