मेरे विष्वास को पानी देना
अरमान को चुनर धानी देना
ज़िन्दगी कुछ भी नहीं , मुहब्बत के बिना
मेरे अलफ़ाज़ को कहानी देना
जिधर भी देखूँ तुम ही तुम हो
अहसास को हकीकत ज़मीनी देना
कहीं न कहीं तो हो तुम
मेरी आस को ज़िन्दगानी देना
गुजर गये हैं मौसम कितने ही
देरी ही सही , बहारों को रवानी देना
शबे-इन्तिज़ार का कोई तो सिला
सुबह हर हाल निशानी देना
अरमान को चुनर धानी देना
ज़िन्दगी कुछ भी नहीं , मुहब्बत के बिना
मेरे अलफ़ाज़ को कहानी देना
जिधर भी देखूँ तुम ही तुम हो
अहसास को हकीकत ज़मीनी देना
कहीं न कहीं तो हो तुम
मेरी आस को ज़िन्दगानी देना
गुजर गये हैं मौसम कितने ही
देरी ही सही , बहारों को रवानी देना
शबे-इन्तिज़ार का कोई तो सिला
सुबह हर हाल निशानी देना
गुजर गये हैं मौसम कितने ही
जवाब देंहटाएंदेरी ही सही , बहारों को रवानी देना ...
बहुत उम्दा भाव पूर्ण गजल ...
आप भी फालोवर बने,,,,आभार शारदा जी,,,,
Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
ज़िन्दगी कुछ भी नहीं , मुहब्बत के बिना
जवाब देंहटाएंमेरे अलफ़ाज़ को कहानी देना
बहुत खूब ... मुहब्बत तो अपने आप में जुबां होती है ... कहानी बन ही जाती है ...
जिधर भी देखूँ तुम ही तुम हो
अहसास को हकीकत ज़मीनी देना
दिल के एहसास हकीकत में बदल जाए तो जीवन सफल हो जाता है ...
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,आभार शारदा जी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबढिया
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति दामिनी गैंगरेप कांड :एक राजनीतिक साजिश ? आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंbahut khoob!
जवाब देंहटाएंbahut achhi panktiyaan
जवाब देंहटाएंकहीं न कहीं तो हो तुम
जवाब देंहटाएंमेरी आस को ज़िन्दगानी देना.
सुंदर अभिव्यक्ति.
BEHATAREEN ,BAHUT KHOOB
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