मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

विष्वास को पानी देना

मेरे विष्वास को पानी देना 
अरमान को चुनर धानी देना 

ज़िन्दगी कुछ भी नहीं , मुहब्बत के बिना 
मेरे अलफ़ाज़ को कहानी देना 

जिधर भी देखूँ तुम ही तुम हो 
अहसास को हकीकत ज़मीनी देना 

कहीं न कहीं तो हो तुम 
मेरी आस को ज़िन्दगानी देना 

गुजर गये हैं मौसम कितने ही 
देरी ही सही , बहारों को रवानी देना 

शबे-इन्तिज़ार का कोई तो सिला 
सुबह हर हाल निशानी देना 

10 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

गुजर गये हैं मौसम कितने ही
देरी ही सही , बहारों को रवानी देना ...

बहुत उम्दा भाव पूर्ण गजल ...

आप भी फालोवर बने,,,,आभार शारदा जी,,,,
Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ज़िन्दगी कुछ भी नहीं , मुहब्बत के बिना
मेरे अलफ़ाज़ को कहानी देना

बहुत खूब ... मुहब्बत तो अपने आप में जुबां होती है ... कहानी बन ही जाती है ...

जिधर भी देखूँ तुम ही तुम हो
अहसास को हकीकत ज़मीनी देना

दिल के एहसास हकीकत में बदल जाए तो जीवन सफल हो जाता है ...

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,आभार शारदा जी.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर
बढिया

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति दामिनी गैंगरेप कांड :एक राजनीतिक साजिश ? आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते

devendra gautam ने कहा…

bahut khoob!

kavita vikas ने कहा…

bahut achhi panktiyaan

रचना दीक्षित ने कहा…

कहीं न कहीं तो हो तुम
मेरी आस को ज़िन्दगानी देना.

सुंदर अभिव्यक्ति.

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

BEHATAREEN ,BAHUT KHOOB