तुम हो न सके मेरे
दुनिया की ख्वाहिशों से मेरा काम क्या
दिल से दिल को जो मिलाये
ऐसी तलब का है भला दाम क्या
हम तो डूबे हैं वहीँ पर
उथले किनारों पर भला वफ़ा का काम क्या
चलें तो चलें कैसे
वो मेंहदी , वो महावर का भला सा नाम क्या
वक़्त की कोई चाल सूरज के साथ मिली
भरी दुपहरी में और घाम क्या
चाहने किस को चले हैं
इश्क की नगरी में किसी को आराम क्या
अश्कों से लिखी दास्तान , परवाह किसे है
इस अहले-सफ़र का हो अन्जाम क्या
दुनिया की ख्वाहिशों से मेरा काम क्या
दिल से दिल को जो मिलाये
ऐसी तलब का है भला दाम क्या
हम तो डूबे हैं वहीँ पर
उथले किनारों पर भला वफ़ा का काम क्या
चलें तो चलें कैसे
वो मेंहदी , वो महावर का भला सा नाम क्या
वक़्त की कोई चाल सूरज के साथ मिली
भरी दुपहरी में और घाम क्या
चाहने किस को चले हैं
इश्क की नगरी में किसी को आराम क्या
अश्कों से लिखी दास्तान , परवाह किसे है
इस अहले-सफ़र का हो अन्जाम क्या