दूर गगन में जा कर देखो
सोच के दीप जला कर देखो
चन्दा तो उतना ही हँसी है
जितने पँख लगा कर देखो
उडती पतंगें मौजों सी ही
गीत सुहाने गा कर देखो
जीवन आनी जानी शय है
कोई तो अलख जगा कर देखो
रुत बदले , मिजाज भी बदले
वक्त से ताल मिला कर देखो
मरघट सी सूनी ख़ामोशी
क़ैद से बाहर आ कर देखो
बच्चे बूढ़े जवाँ हो जाते
आस का फूल खिला कर देखो
घर भर को रौशन कर देता
एक दिया ही जला कर देखो