किच्छा की गलियों से
नानी के आँगन से
दरियों की पँगत से
बाल्टी भर आमों से
कजन्स की सँगत से
मासियों मामों से
रिश्ता जो अपना है
लाया है कौन हमें
यूरोप के शहरों तक
लहराती नदियों तक
सुरम्य नज़ारों तक
सारा जग अपना है
गगन की बाँहों तक
ज़िन्दगी की रँगत है
वही तो जोड़े है
दुआ सलामों से
बचपन की खुशबू से
लड़कपन यादों में
सुहाने सपनों में
महकता जीवन भर
खुली फ़िज़ाओं में
देश- विदेशों में
नानी का प्यारा घर
नानी के आँगन से
दरियों की पँगत से
बाल्टी भर आमों से
कजन्स की सँगत से
मासियों मामों से
रिश्ता जो अपना है
लाया है कौन हमें
यूरोप के शहरों तक
लहराती नदियों तक
सुरम्य नज़ारों तक
सारा जग अपना है
गगन की बाँहों तक
ज़िन्दगी की रँगत है
वही तो जोड़े है
दुआ सलामों से
बचपन की खुशबू से
लड़कपन यादों में
सुहाने सपनों में
महकता जीवन भर
खुली फ़िज़ाओं में
देश- विदेशों में
नानी का प्यारा घर