शनिवार, 28 अगस्त 2010

जब भी लय छूटे

टूटती है लय तो होती है धमक
ताल मिलाती लय भी चलेगी कब तक

हड्डियों में रच बस गया है जो
धुआँ वजूद का हिस्सा है तपेगा कब तक

तन ने कहा ही नहीं मन ने जिया जिसको
कलम के जिम्मे ये सफ़र बतलाओ कब तक

हदें मिटती हैं तो सरहदें टूटती हैं
खानाबदोशों की तरह गम खायेगा कब तक

खुशबुएँ दूर से ही लगतीं अच्छी
ख्यालों में तितलियों को पकड़ पायेगा कब तक

तान टूटे जब भी लय छूटे
जिन्दगी गीत है हर हाल में मुस्कराएगा कब तक


कलम की जगह किसी किसी के लिये अश्कों के जिम्मे भी हो सकता है ये सफ़र !

गुरुवार, 19 अगस्त 2010

चुप से दिखाने के लिये

कर रहा इन्कार आँसू भी , आँख में आने के लिये
चुक गया दरिया भी , आतिशे-गम बुझाने के लिये

हो गये हैं ढीठ से , चुप से दिखाने के लिये
मार कर पत्थर तो देखो , हमको हिलाने के लिये

सैय्याद ने ले लिये पर , गिरवी दिखाने के लिये
उम्मीद पर चलते रहो , बेपरों के हौसले आजमाने के लिये

रख छोड़े थे ताक पर , कितने ही नगमे भुलाने के लिये
पिटारी खोल कर बैठे हैं , वही लम्हे भुनाने के लिये 

लौट आये हैं वही दिन रात , हमको सताने के लिये
पुराने फिर वही किस्से , दिले-नादाँ दुखाने के लिये

घड़ों पानी तो डाला था , जख्मे-दिल सहलाने के लिये
गढ़े मुर्दे छेड़े किसने , चिंगारी यूँ सुलगाने के लिये

शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

कदम जमा जमा कर

रेत पर चल रहे हैं कदम जमा जमा कर
न जाने कौन सी लहर हो तूफाँ से हाथ मिलाये हुए

किसी को पँख मिले हैं परवाज़ के लिये
किन्हीं क़दमों को सरकने की गर्मी भी न नसीब हुए

कोई चढ़ रहा है कामयाबी की सीढ़ियाँ
कोई दामन में है बिखरे अहसास सम्भाले हुए

कहीं जमीन कम , है कहीं आसमान कम
इसी हेरफेर में जाने कितने हैं धराशाई हुए

हवाएँ हैं , चिराग है , है नमी कम
सूखे में हौसले भी हैं भरमाये हुए

जाने वो कौन सी सहर है या लहर
बीच भँवर में कश्ती को आजमाये हुए








बुधवार, 4 अगस्त 2010

ख्याल जिन्दा है

बुत बने बैठे हैं मगर जिन्दा हैं
झाँक के देखा है अन्दर कोई शर्मिन्दा है

भलमन-साहत को नासमझी समझ लेते हैं लोग
भटकना मुश्किल है जमीर जिन्दा है

उठ गया कारवाँ साथ हसरतों के ही
सो गया सब कुछ गुबार जिन्दा है

घड़ी की तरह चलती हैं धडकनें
रुकी नहीं हैं सामान जिन्दा है

मन्दिर-मस्जिद भी गए , वो बोलता ही नहीं
ज़माने में मगर उसका करम जिन्दा है

कहाँ से लाऊँ बुतों की बस्ती में खुदा
तलाश जारी है , ख्याल जिन्दा है