ग़मगीन ही सही , जो तुम्हें पसन्द हो , वो गीत अक्सर गुनगुनाया करो
वक़्त के साथ-साथ तुम भी तो मुस्कराया करो
वक़्त के फेर में उलझ जाता है हर कोई
तुम जरा वक्त से परे हो कर , ज़िन्दगी को सजाया करो
कौन जाने कब बदल जायेगा मौसम का मिजाज
तुम इस तरह भी फिजाँ को बुलाया करो
आईना यूँ भी हम से कहता है , तू जो सोचता है
दिखता है , खुद को यूँ भी न भुलाया करो
आह से भी तो उपजता है गान
गाने लगती है सारी कायनात , ये कभी न भुलाया करो
तुम गुनगुनाओ के शब हो या सहर
सूरज ने कभी छुट्टी न ली , उसे रोज बुलाया करो
वक़्त के साथ-साथ तुम भी तो मुस्कराया करो
वक़्त के फेर में उलझ जाता है हर कोई
तुम जरा वक्त से परे हो कर , ज़िन्दगी को सजाया करो
कौन जाने कब बदल जायेगा मौसम का मिजाज
तुम इस तरह भी फिजाँ को बुलाया करो
आईना यूँ भी हम से कहता है , तू जो सोचता है
दिखता है , खुद को यूँ भी न भुलाया करो
आह से भी तो उपजता है गान
गाने लगती है सारी कायनात , ये कभी न भुलाया करो
तुम गुनगुनाओ के शब हो या सहर
सूरज ने कभी छुट्टी न ली , उसे रोज बुलाया करो