आज के दौर में एक मित्रता और सदभावना भरा दिल ही ढूँढना मुश्किल है ...और जब कभी ऐसा कोई मिल जाता है तो मन कुछ इस तरह गुनगुना उठता है ...
हम न भूल पायेंगे , ये जो तुम चले हो हमारे साथ
दुनियावी बातों में , रूहानी सी हो जैसे कोई मुलाकात
वक्त के सितम भूल गये सारे , आँखें मींचीं तो पाया
के बिछी है , क़दमों तले नर्म रेशम सी करामात
अजब सी बात है , कभी तो ढूँढे से नहीं मिलती ख़ुशी
सहरा में चलते हुए , कभी हो जाती है सोंधी सी बरसात
एक वो लोग उतरे हैं नज्मों में , जो धूप में सुखाते हैं
दूसरे वो जो , घनी छाँव से दिल को भाते हैं हज़रात
नज़राने की तरह , रख लो कोई निशानी मेरी भी
नज़र आऊँगी कभी , मैं भी तुम्हें गाहे-बगाहे यूँ ही बे-बात
हम न भूल पायेंगे , ये जो तुम चले हो हमारे साथ
दुनियावी बातों में , रूहानी सी हो जैसे कोई मुलाकात
वक्त के सितम भूल गये सारे , आँखें मींचीं तो पाया
के बिछी है , क़दमों तले नर्म रेशम सी करामात
अजब सी बात है , कभी तो ढूँढे से नहीं मिलती ख़ुशी
सहरा में चलते हुए , कभी हो जाती है सोंधी सी बरसात
एक वो लोग उतरे हैं नज्मों में , जो धूप में सुखाते हैं
दूसरे वो जो , घनी छाँव से दिल को भाते हैं हज़रात
नज़राने की तरह , रख लो कोई निशानी मेरी भी
नज़र आऊँगी कभी , मैं भी तुम्हें गाहे-बगाहे यूँ ही बे-बात