हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं
बहार आई गई , पत्ता पत्ता बिछड़ा
बदल के बात जमीं से उखड़े दिखाई देते हैं
पकड़ के हाथ मीलों जो चले
बदले-बदले मिजाज ढीले-ढीले दिखाई देते हैं
बनी रहे तेरे चेहरे की चमक
तेरे मौसम दिल में उतरे दिखाई देते हैं
हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं
रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं
बहार आई गई , पत्ता पत्ता बिछड़ा
बदल के बात जमीं से उखड़े दिखाई देते हैं
पकड़ के हाथ मीलों जो चले
बदले-बदले मिजाज ढीले-ढीले दिखाई देते हैं
बनी रहे तेरे चेहरे की चमक
तेरे मौसम दिल में उतरे दिखाई देते हैं
हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं