तू जिसे ढूँढ रहा है , वो तो इश्क है हक़ीकी
दुनिया की महफ़िलों में , मिलता है वो रिवाजी
ज़माने की आँधियों में , रहना है तुझे साबुत
मिले न भले कुछ भी , हर हाल में हो राजी
ज़िन्दगी का है ये मेला , चाहे तो चल अकेला
चाहे तो सजदा कर ले , चाहे तो रख नाराज़ी
मिलती नहीं है दुनिया तो , लगती है भले सोना
मिल जाये तो माटी है , प्राणों की लगे बाज़ी
चल-चल के जो तू हारे , चारों तरफ निहारे
रूहों का शहर है ये , रिश्तों की है मोहताजी
माने तो दुनिया सहरा , माने तो दुनिया महफ़िल
फ़ानी है सारी दुनिया , कोरी है ये लफ़्फ़ाज़ी
सच्चा ही तू रह खुद से , इतना भी तो है काफ़ी
आयेगा सब ही आगे , छोड़ेगा कहाँ माज़ी
बुलबुलों सा फ़ना होता , ज़द्दो-जहद की खातिर
सागर से कब मिलेगा , नजरों में रख अजीजी
दुनिया की महफ़िलों में , मिलता है वो रिवाजी
ज़माने की आँधियों में , रहना है तुझे साबुत
मिले न भले कुछ भी , हर हाल में हो राजी
ज़िन्दगी का है ये मेला , चाहे तो चल अकेला
चाहे तो सजदा कर ले , चाहे तो रख नाराज़ी
मिलती नहीं है दुनिया तो , लगती है भले सोना
मिल जाये तो माटी है , प्राणों की लगे बाज़ी
चल-चल के जो तू हारे , चारों तरफ निहारे
रूहों का शहर है ये , रिश्तों की है मोहताजी
माने तो दुनिया सहरा , माने तो दुनिया महफ़िल
फ़ानी है सारी दुनिया , कोरी है ये लफ़्फ़ाज़ी
सच्चा ही तू रह खुद से , इतना भी तो है काफ़ी
आयेगा सब ही आगे , छोड़ेगा कहाँ माज़ी
बुलबुलों सा फ़ना होता , ज़द्दो-जहद की खातिर
सागर से कब मिलेगा , नजरों में रख अजीजी