रँग लाती है हिना , पत्थर पे पिस जाने के बाद
खुशबू आती है यहाँ , वजूद मिट जाने के बाद
फूलों से पूछो सोये कितना काँटों पर , डाल पर आने के बाद
भूल जायेगी चुभन भी , समय बदल जाने के बाद
ऐ मेरे दिल क्या पायेगा तन्हाई में , अपनों से बिछड़ जाने के बाद
फिर से छायेंगी बहारें , पतझड़ गुजर जाने के बाद
मन्त्र बन जाती है उमँग , कामना के स्वरों से मिल आने के बाद
अँकुरित होता है बीज सदा , मिट्टी में मिल जाने के बाद
खुशबू आती है यहाँ , वजूद मिट जाने के बाद
फूलों से पूछो सोये कितना काँटों पर , डाल पर आने के बाद
भूल जायेगी चुभन भी , समय बदल जाने के बाद
ऐ मेरे दिल क्या पायेगा तन्हाई में , अपनों से बिछड़ जाने के बाद
फिर से छायेंगी बहारें , पतझड़ गुजर जाने के बाद
मन्त्र बन जाती है उमँग , कामना के स्वरों से मिल आने के बाद
अँकुरित होता है बीज सदा , मिट्टी में मिल जाने के बाद