दिल तो भरा है बहुत
बोला मगर कुछ भी न गया
आहटें सुनीं तो बहुत
मुड़ के देखा न गया
क़ैद में कौन हुआ
फासला जो मिटाया न गया
सूरज तो उगा
मेरे घर में दिन न हुआ
नब्ज तो देखी बहुत उजाले की
रोग का इल्म न हुआ
जिन्दगी दोस्त है तो
क्यूँ कोई सुखनवर न हुआ
वायदा खुद से कर के भूल गए
वो गया तो क्या क्या न हुआ