परछाइयों से लड़ बैठी हूँ
अब कोई मुझे बुलाये न
कुछ भी नहीं पूछा है तुमने
ये कोई मुझे बताये न
दरिया तो पार किया मैंने
अब साहिल पे अटकाये न
पतवारें तो होती बहाना हैं
दम अपना कोई भुलाये न
नहीं पछाड़ा मुझको दरिया ने
किनारे से कोई लड़ाये न
हाय कोई ढाल बनी होती
पानी पर कोई चलाये न
कुछ भी नहीं पूछा है उसने
परछाईँ सा कोई डराये न
अब कोई मुझे बुलाये न
कुछ भी नहीं पूछा है तुमने
ये कोई मुझे बताये न
दरिया तो पार किया मैंने
अब साहिल पे अटकाये न
पतवारें तो होती बहाना हैं
दम अपना कोई भुलाये न
नहीं पछाड़ा मुझको दरिया ने
किनारे से कोई लड़ाये न
हाय कोई ढाल बनी होती
पानी पर कोई चलाये न
कुछ भी नहीं पूछा है उसने
परछाईँ सा कोई डराये न