उम्र ये किस मुक़ाम पर है
दुनिया ढलान पर है
हर तरफ़ है बदहवासी
सीने में कुछ उफान पर है
बह न जाये कहीं मनोबल
तेरी बस्ती तूफ़ान पर है
प्रार्थना में है बड़ा बल
दिल में वही रख जो ज़ुबान पर है
आज वो है कल मैं निशाना
कोई शिकारी मचान पर है
आहों पर खड़ा न कर महल
ये तिलस्म शमशान पर है
जो गये उनका शोक मनायें के ज़िन्दों की खैर करें
मेरे मौला , ये कौन सी मुसीबत जहान पर है
दुआ और दवा का मेल हो
मन का पंछी उड़ान पर है