यूँ ही नहीं आते हैं जलजले
धुरी से जमीं अक्सर खिसकी ही मिले
परेशान है दुनिया सारी
जाने किस दौड़ में शामिल सी ये लगे
मुस्कुरा के जो चल दे अकेले ही
आधार कोई उँगली पकड़े मिले
नया नहीं है कुछ भी सूरज के तले
नया तो वो है जो सह ले जिगर से चले
चढ़ आती है धूप मुंडेरों पर
धूप छाया की तरह जिन्दगी ही खिले
तारीफ़ तुम्हारी , गिले भी तुमसे
तुम ही तुम हो हमारे साथ चले