जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात
मिट्टी की मैं , तेल है तेरा
सुख दुख सारा , खेल है तेरा
मेरे दिल की क्या है औकात
जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात
जग चिड़िया का रैन बसेरा
जोगी वाला अपना फेरा
कैसे दूँ हालात को मात
जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात
हाथ पकड़ कर चलूँ मैं तेरा
धो डाले जो पथ का अँधेरा
सुबह सी है तेरी बात
जल रे दिए तू , लम्बी ज्योति
पहुँच वहाँ , दूर जहाँ तक खड़ी है रात