देखो तो मुहब्बत की हर राह , किस ओर निकलती है
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है
सूरज के मुहाने से , दिन निकलता है
चन्दा तेरी गलियों में अश्क की रात भी ढलती है
मुहब्बत है इबादत, बेशक
छुप के ज़माने से मगर पलती है
फिसला है हर कोई यहाँ
शीशे के घरों में तन्हाई ही पलती है
हर किसी को तमन्ना है गुलाबों की
खरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है
देखो तो मुहब्बत की हर राह , किस ओर निकलती है
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है
सूरज के मुहाने से , दिन निकलता है
चन्दा तेरी गलियों में अश्क की रात भी ढलती है
मुहब्बत है इबादत, बेशक
छुप के ज़माने से मगर पलती है
फिसला है हर कोई यहाँ
शीशे के घरों में तन्हाई ही पलती है
हर किसी को तमन्ना है गुलाबों की
खरोंच काँटों की साथ-साथ मिलती है
देखो तो मुहब्बत की हर राह , किस ओर निकलती है
कहने को ज़िन्दगी है , हर बार ही छलती है