उन्हें ये है ऐतराज़ के हम खुश रहते क्यूँ हैं
घड़ी-घड़ी रह-रह के यूँ मुस्कराते क्यूँ हैं
बड़ी मुश्किल से आये हैं इस मुकाम पर
फिर पुरानी राह हमें वो दिखलाते क्यूँ हैं
अपने सीने में भी धड़कता है दिल
हो जा ज़िन्दगी से महरूम बतलाते क्यूँ हैं
हमें मालूम है दुनिया का चलन
गैर की तरह वो भी सितम ढाते क्यूँ हैं
उन्हें मालूम नहीं ,वही मुस्कराते हैं सीने में
मेरे चेहरे का रँग वही उड़ाते क्यूँ हैं
घड़ी-घड़ी रह-रह के यूँ मुस्कराते क्यूँ हैं
बड़ी मुश्किल से आये हैं इस मुकाम पर
फिर पुरानी राह हमें वो दिखलाते क्यूँ हैं
अपने सीने में भी धड़कता है दिल
हो जा ज़िन्दगी से महरूम बतलाते क्यूँ हैं
हमें मालूम है दुनिया का चलन
गैर की तरह वो भी सितम ढाते क्यूँ हैं
उन्हें मालूम नहीं ,वही मुस्कराते हैं सीने में
मेरे चेहरे का रँग वही उड़ाते क्यूँ हैं