तुम्हारी आँखों में हौसला चमकता बहुत है
तुम्हें छू कर जो आतीं हैं हवाएँ
इनकी नमी से अपनापन टपकता बहुत है
तुम्हारे आ जाने से आ जाती है रौनक
यादों की क्यारी में तुम्हारा चेहरा दमकता बहुत है
तुम्हारी पलकों पर रक्खे हैं जो ख़्वाब
कोई इनमें ही आ-आ के बहकता बहुत है
तुम्हें देखूँ ठिठक जातीं हैं निगाहें
ये मन किसी बच्चे सा चहकता बहुत है