वक़्त का चेहरा भी है पहचाना हुआ
जिन्दगी तू भी है सखी सी ही
छलकती हो चाहे जिन्दगी कितनी
नजर में है चाहत की कमी सी ही
गले लगाऊँ किसे और रूठूँ किस से
हर आँख दूसरी में है नमी सी ही
कल के हिस्से का हमें आज नहीं मिलना है
वक़्त के हाथ में है खुदाई सी ही
जिन्दगी तू भी है सखी सी ही
छलकती हो चाहे जिन्दगी कितनी
नजर में है चाहत की कमी सी ही
गले लगाऊँ किसे और रूठूँ किस से
हर आँख दूसरी में है नमी सी ही
कल के हिस्से का हमें आज नहीं मिलना है
वक़्त के हाथ में है खुदाई सी ही