तू न देख के कितना है रन्ज रिश्ते में अपने,
तू ये देख के क्या क्या है निभाया मैंने
सारी दुनिया मिलती है किसे ,
टुकड़ों में मिली धूप को कैसे गले लगाया मैंने
तू मुझसे जुदा ही नहीं है ,
कैसे समझाये कोई अपने ही जिगर को
बोले जो कभी भी तुम सख़्त होकर ,
दरक गया कुछ तो कैसे सँभाला मैंने
बेशक तू न देख पाये के ,
कितनी है रँगत तुझसे मेरी दुनिया में
तू ये देखना के मुश्किल वक़्त ने हमें जोड़ा कितना
तेरे चेहरे की इक-इक शिकन पर ,
सुख-चैन अपना सारा लुटाया मैंने
रिश्तों की खूबसूरती एक-दूसरे को बर्दाश्त करने में है , निभाने में है
तू ये देख के तकरार में भी है क्या-क्या तुझसे चाहा मैंने
तू न देख के कितना है रन्ज रिश्ते में अपने,
तू ये देख के क्या क्या है निभाया
तू ये देख के क्या क्या है निभाया मैंने
सारी दुनिया मिलती है किसे ,
टुकड़ों में मिली धूप को कैसे गले लगाया मैंने
तू मुझसे जुदा ही नहीं है ,
कैसे समझाये कोई अपने ही जिगर को
बोले जो कभी भी तुम सख़्त होकर ,
दरक गया कुछ तो कैसे सँभाला मैंने
बेशक तू न देख पाये के ,
कितनी है रँगत तुझसे मेरी दुनिया में
तू ये देखना के मुश्किल वक़्त ने हमें जोड़ा कितना
तेरे चेहरे की इक-इक शिकन पर ,
सुख-चैन अपना सारा लुटाया मैंने
रिश्तों की खूबसूरती एक-दूसरे को बर्दाश्त करने में है , निभाने में है
तू ये देख के तकरार में भी है क्या-क्या तुझसे चाहा मैंने
तू न देख के कितना है रन्ज रिश्ते में अपने,
तू ये देख के क्या क्या है निभाया