वेलेन्टाइन डे की रात , प्रकृति ने बर्फ़बारी से नहला दिया सरोवर नगरी को , कुछ इस तरह ..
बहुत इन्तज़ार करवाती हो तुम
कितनी ही बार खिड़की से झाँक कर देखा
और जब आती हो तो दबे पाँव ,
आहट भी नहीं करतीं
सब तरफ बिछ जाती हो
बिल्कुल ज़िन्दगी की ही तरह
अब तुम्हारी चमक से
सारी दुनिया बदली हुई सी लगती है
ये मौसम की मेहरबानी है
सारा शहर पेड़-पौधे तेरे रँग में रँगे हुए से लगते हैं
बर्फ है के चाँदनी है ....सारी कायनात नहाई हुई सी लगती है
भीगी-भीगी मेरे मन की हालत की ही तरह
कितनी ही बार खिड़की से झाँक कर देखा
और जब आती हो तो दबे पाँव ,
आहट भी नहीं करतीं
सब तरफ बिछ जाती हो
बिल्कुल ज़िन्दगी की ही तरह
अब तुम्हारी चमक से
सारी दुनिया बदली हुई सी लगती है
ये मौसम की मेहरबानी है
सारा शहर पेड़-पौधे तेरे रँग में रँगे हुए से लगते हैं
बर्फ है के चाँदनी है ....सारी कायनात नहाई हुई सी लगती है
भीगी-भीगी मेरे मन की हालत की ही तरह