नया साल आया तो खड़ा है
उम्मीद जश्न की करता हमसे
खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है
गुजरे साल में ज़ख़्मी हुए हम
जार जार रोई मानवता
काँधे पे अपने , लिए ज़मीर की , लाश खड़ा है
सूख गये विष्वास के मानी
मर गया आँख में शर्म का पानी
अस्मिता बचाओ , घर में लुटेरा आन खड़ा है
जननी , भगिनी , भामिनी
नारी के सम्मान की भाषा
हाथ में लिए मशाल ' दामिनी ' , हर रिश्ते का पहरेदार खड़ा है
हर आँख नम है
हर सीने में कितना गम है
कैसे करें सत्कार तुम्हारा , गुजरा साल सीने में अड़ा है
नया साल आया तो खड़ा है
उम्मीद जश्न की करता हमसे
खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है
उम्मीद जश्न की करता हमसे
खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है
गुजरे साल में ज़ख़्मी हुए हम
जार जार रोई मानवता
काँधे पे अपने , लिए ज़मीर की , लाश खड़ा है
सूख गये विष्वास के मानी
मर गया आँख में शर्म का पानी
अस्मिता बचाओ , घर में लुटेरा आन खड़ा है
जननी , भगिनी , भामिनी
नारी के सम्मान की भाषा
हाथ में लिए मशाल ' दामिनी ' , हर रिश्ते का पहरेदार खड़ा है
हर आँख नम है
हर सीने में कितना गम है
कैसे करें सत्कार तुम्हारा , गुजरा साल सीने में अड़ा है
नया साल आया तो खड़ा है
उम्मीद जश्न की करता हमसे
खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है