गुरुवार, 3 जनवरी 2013

नया साल आया तो खड़ा है

नया साल आया तो खड़ा है 
उम्मीद जश्न की करता हमसे 
खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है  

गुजरे साल में ज़ख़्मी हुए हम 
जार जार रोई मानवता 
काँधे पे अपने , लिए ज़मीर की , लाश खड़ा है 

सूख गये विष्वास के मानी 
मर गया आँख में शर्म का  पानी 
अस्मिता बचाओ , घर में लुटेरा आन खड़ा है 

जननी , भगिनी , भामिनी 
नारी के सम्मान की भाषा 
हाथ में लिए मशाल ' दामिनी ' , हर रिश्ते का पहरेदार खड़ा है 

हर आँख नम है 
हर सीने में कितना गम है 
कैसे करें सत्कार तुम्हारा , गुजरा साल सीने में अड़ा है 


नया साल आया तो खड़ा है 
उम्मीद जश्न की करता हमसे 
खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है