उजली सी किरणें लेकर
तकती हैं मेरी आँखें
भूली हैं सारी राहें
अन्तस में है अँधियारा
दिखता न कोई किनारा
जन्मों से बहका तन मन
जलने को है इक उपवन
आजाओ मेरे प्रभु जी
ठंडी सी हवाएं लेकर
तेरी ठण्डक देती बाहें
राहत की सारी दवाएँ
महकेगा इक गलियारा
खिल जायेगा इक उजियारा
जिस ओर भी तुम लेजाओ
उंगली अपनी पकड़ाओ