आदमी को चाहिये भी क्या
एक चुटकी प्यार ही ना
है चाहतों का ऐसा असर
नस नस में घुला खुमार ही ना
गालों पर खिलता गुलाब
हथेलियों पे रची रँगे-हिना
बज रहे हैं तार दिल के
साज दिल का है सितार ही ना
कौन धड़कनों में शामिल है
दिल की बस्ती है गुलज़ार ही ना
रूह से मिटता नहीं उसका ख्याल
रगों में खून सा शुमार ही ना