हादसों की न पूछो
बचा न कुछ भी , जिस्मों-जाँ पूछो
वक़्त हुआ है
किस पे मेहरबाँ पूछो
टूट गया दिल
ढह गया मकाँ पूछो
महकते थे गुल
बचे हैं क्या निशाँ पूछो
हादसे ही ले आये हैं
इस मुकाँ पूछो
मिट-मिट के हुआ है
गम जवाँ पूछो
जज़्बात हैं स्याही के सिवा
लेखनी की जुबाँ पूछो
बचा न कुछ भी , जिस्मों-जाँ पूछो
वक़्त हुआ है
किस पे मेहरबाँ पूछो
टूट गया दिल
ढह गया मकाँ पूछो
महकते थे गुल
बचे हैं क्या निशाँ पूछो
हादसे ही ले आये हैं
इस मुकाँ पूछो
मिट-मिट के हुआ है
गम जवाँ पूछो
जज़्बात हैं स्याही के सिवा
लेखनी की जुबाँ पूछो