जलता हुआ सहरा है , चेहरे पे उदासी है
आँखों में बदहवासी , जलने की बू आती है
घड़ी दो घड़ी को , गुलशन का करार देखो
खिजाँ की कोई रुत भी , पसरी है कि खाती है
साबुत न बचा न कोई , चक्की के दो पाटों में
घर से निकले तो ये दुनिया है , अपना समझे तो ये थाती है
दिल लगी की बहुत बातें , कह दें तो रुसवाई है
न बोलें तो बोझ दिल पे , धड़कन की ये पाती है
ढलता हुआ सूरज है , आँखों में बसी किरणे
छीने न कोई हमसे , रातों की दिया-बाती हैं
आँखों में बदहवासी , जलने की बू आती है
घड़ी दो घड़ी को , गुलशन का करार देखो
खिजाँ की कोई रुत भी , पसरी है कि खाती है
साबुत न बचा न कोई , चक्की के दो पाटों में
घर से निकले तो ये दुनिया है , अपना समझे तो ये थाती है
दिल लगी की बहुत बातें , कह दें तो रुसवाई है
न बोलें तो बोझ दिल पे , धड़कन की ये पाती है
ढलता हुआ सूरज है , आँखों में बसी किरणे
छीने न कोई हमसे , रातों की दिया-बाती हैं