दिन ज़िन्दगानी के चार रे
आते न बारम्बार रे
आज की कदर कर , कल का भरोसा न कोई
आज पे ही ज़िन्दगी को वार रे
माँगना न कुछ भी , दिलबर तक है पहुँचने की राह
आयेगा वो खुद ही तेरे द्वार रे
पल पल मरना तो , रखता है ज़िन्दगी से कोसों दूर
ज़िन्दगी के वास्ते कर ले ऐतबार रे
दिन ज़िन्दगानी के चार रे
आते न बारम्बार रे
आते न बारम्बार रे
आज की कदर कर , कल का भरोसा न कोई
आज पे ही ज़िन्दगी को वार रे
माँगना न कुछ भी , दिलबर तक है पहुँचने की राह
आयेगा वो खुद ही तेरे द्वार रे
पल पल मरना तो , रखता है ज़िन्दगी से कोसों दूर
ज़िन्दगी के वास्ते कर ले ऐतबार रे
दिन ज़िन्दगानी के चार रे
आते न बारम्बार रे