शनिवार, 5 अक्टूबर 2013

दिन ज़िन्दगानी के चार रे

दिन ज़िन्दगानी के चार रे 
आते न बारम्बार रे 

आज की कदर कर , कल का भरोसा न कोई 
आज पे ही ज़िन्दगी को वार रे 

माँगना न कुछ भी , दिलबर तक है पहुँचने की राह 
आयेगा वो खुद ही तेरे द्वार रे 

पल पल मरना तो , रखता है ज़िन्दगी से कोसों दूर 
ज़िन्दगी के वास्ते कर ले ऐतबार रे 

दिन ज़िन्दगानी के चार रे 
आते न बारम्बार रे 


9 टिप्‍पणियां:


  1. जो पली हो दर्द -दवारा, जिन्दगी है i
    भाग्य का टूटा सितारा ,जिन्दगी है i
    मीत के असहाय बिछुड़ने की सजा ,
    सिर्फ यादों का सहारा , जिन्दगी है i

    नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-

    RECENT POST : पाँच दोहे,

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    1. ये पंक्तियाँ बहुत उदासी के वक्त लिखी गईं हैं ...ऐसे वक्त को जीना बहुत मुश्किल होता है ...मगर उबरना तो पड़ेगा ...जीना इसीका नाम है ...चाँद सूरज चले भी जाएँ तब भी सितारे आसमान में बने रहते हैं ...शुभकामनाओं के साथ ...

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  2. बहुत सुन्दर....
    नवरात्री पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ :-)

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
    वोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (06-10-2013) हे दुर्गा माता: चर्चा मंच-1390 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. सच कहा है .. जो भी है बस यही इक पल है ...

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  6. सच यही है। जिदगी अभी है और यहीं है।

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  7. आज की कदर कर , कल का भरोसा न कोई
    आज पे ही ज़िन्दगी को वार रे -------
    सार्थक सच्ची बात कही है ,वाकई जीवन जीने का सच यही है
    बहुत सुंदर----
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर-----

    आग्रह है---
    करवा चौथ का चाँद ------

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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं